फरवरी 2020 (अंतराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय परिदृश्य) व्याख्या सहित

प्रतियोगिता दर्पण फरवरी 2020 (अंतराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय परिदृश्य) व्याख्या सहित

नमस्कार दोस्तों
इस वीडियो में आपके लिए प्रतियोगिता दर्पण 2020 के संस्करणं में से अंतराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय परिदृश्य के महत्वपूर्ण करंट अफेयर्स व्याख्या सहित लेकर आये हैं

प्रतियोगिता दर्पण फरवरी 2020  (अंतराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय परिदृश्य)  व्याख्या सहित

इस वीडियो को देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें


इस वीडियो की PDF को डाउनलोड करने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें 

CLICK HERE

तनोट माता मंदिर परिचय

जैसलमेर से 5 किमी दूर तनोट मंदिर जाने वाले सड़क मार्ग पर बड़ा बाग़ स्थान आता है।  इसमें जैसलमेर के महारावलों के श्मशान पर बानी हुई कलात्मक छत्रियो एवं समरक विश्व विख्यात है।  महारावल जेतसिंग द्वारा निर्मित जैतसर सरोवर है।  बड़ा बाघ की तलहटी में सुन्दर उद्यान बना हुआ है।  जिसमे आम के सुन्दर विशाल पेड़ है।  रियासतकालीन जैसलमेर में इस बाग़ में विभिन्न प्रकार के फल फूल तथा सब्जियों का उत्पादन किया जाता था।  इस बाद का उल्लेख जैसलमेर की तवारीख में भी किया गया है।  इस स्थान पर क्षेत्रपाल जी का मंदिर स्थानीय लोगो के अटूट आस्था एवं धार्मिक भावना का  केंद्र है।  जैसलमेर में रहने वाली सभी जातियों द्वारा इस मंदिर की यात्रा की जाती है।  विशेषकर विवाह होने पर एवं पुत्र प्राप्ति के समय यहाँ की यात्रा शुभ मणि जाती है।  क्षेत्रपाल जी की मूर्ति बिना उत्कीर्ण प्रस्तान से निर्मित है।  उनकी पूजा तेल नारियल सिंदूर की पन्नियों  व् इत्र सामग्री द्वारा करके चंडी का थैला चढ़ाया जाता है। बड़ा बॉक्स में रहने वाले माली जाती के लोग इसके पुजारी  होते है। जैसलमेर के इसी ष्ट्र में पवन   गयी है।  जिससे ऊर्जा का भरपूर लाभ मरुप्रदेश को मिल रहा है।  बड़ा बाग़ में से 15 किमी दूर रामगढ सड़क मार्ग इज लानेना गाओं स्तिथ है।  इसी गाओं के पास में दिया बांध स्थित है।  एक छोटी सी ककनी नदी जब कोटड़ी गाओं से प्रवाहित होती थी। जो पहले उत्तर की तरफ तथा बाद में आगे चलकर बुझ नामक झील का निर्माण करती थी।  उसमे भरी वर्षा के कारण यह अपने सामान्य मांर्ग से भटक कर उतर की तरफ दिया बांध में लाणेला गाओं के पास समां जाती थी।  जिससे दलदली क्षेत्र बन जाता था।  जिसे स्थानीय नोली में जान कहा जाता था।  वर्तमान में भी लानेना गाओं के पास भरी वर्षा के समय रण क्षेत्र में जल कई महीनो तक इकठा रहता है।  रेट के समंदर में दूर दूर तक जल संचय का  यह दृश्य बड़ा ही मनमोहक होता है। लाणेला गाओं में कुछ  दुरी पर जैसलमेर रामगढ रोड पर भादासर गाओं आता है।  इस गाओं में रक्तिम भूरे रंग के कठोर पत्थर पाए जाते है।  जिसका उपयोग आटा पीसने की चक्कियों को बनाने में किया जाता है।  भादासर गाओं से आगे रामगढ रोड पर मोकला गाओं आता है. जहा पवन ऊर्जा उत्पादन हेतु चक्कियों की स्थापना की गयी है।  
sonu limes jaisalmer

मोकला गाओं से आगे चलते ही लगभग 15 किमी दुरी पर सोनू गाओं आता है।  इस स्थान पर राजस्थान खनिज विकास निगम के तत्वावधान में 40 हजार मेट्रिक एवं प्रतिवर्ष 6  लाख मेट्रिक तन स्टील ग्रेड लाइम स्टोन निकला जाता है।  इस उच्च श्रेणी चुना पत्थर को भारत के प्रमुख स्टील सयंत्रो में भेजा जाता है।  जिससे रेलवे को रतिवर्ष 5 करोडे रूपये लाभ होता है।  सोनू व् इसके पास स्थित परिवार गाओं से चूहे के दन्त के जीवाश्म प्राप्त हुए है जो विश्व केप्राचीनतम रींधखम्ब्दारी जीवाश्म की श्रेणी में आते है।  इस कारन यह क्षेत्र विश्व स्टार पर अपने पहचान बनाये हुए है।  सोनू गाओं व् इसके पास स्थित परिवार गाओं से चूहे के दन्त के जीवाश्म प्राप्र्त हुए है।  सोनू गाओं से आगे 20 किमी दुरी पर रामगढ गाओं आता है।  इसके आलावा ऐतिहासिक रूप से भी एहि गाओं भारत पाक युद्ध के समय प्रसिद्ध रहा है।  तनोट पर जब पाक शत्रु सेना ने आक्रमण किया था उसी समय वह से सोलंकी जाती तथा अन्य जातियों का पलायन रामगढ गाओं में हुआ था।  इस गाओं में बसने पर इन्होने अपनी उप जाती को जोड़कर मोहल्ला नाम भी तनोटिया, किशनगढिया रख लिया था।  भारत पाक युद्ध के समय पाकिस्तानी सेना ने रामगढ पर बम बरसाए थे. लेकिन तनोट माता की ड्रिप से बम फटने पर भी किसी प्रकार की जल्हणि एवं पशुहानि नहीं हुई थी।  रामगढ गाओं के आसपास ग्रामीण आंचलों की लोगो के लिए प्रमुख सुविधा का केंद्र है।  यहाँ शिक्षा के आलावा चिकित्सा एवं अन्य आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होती है।  रामगढ में गैस आधारित थर्मल पावर प्लांट की स्थापना की गई है।  रामगढ गाओं से थोड़ी दूर तनोट मार्ग पर पानी से भरी हुए नहर दिखाई देती है।  जिसके पानी का उपयोग कृषको ने अपने खेतो में करके आस पास  रेगिस्तानी से हरियाली में बदल दिया है।  
ranau village jaisalmer

रामगढ तनोट मार्ग पर २५ किमी की दूर पर रणाऊ  की ढाणी  के समंदर में वीरान सी दिखाई देती है।  यहाँ  दूर दूर तक रेतीली बंजर भूमि में खेजड़ी, कीकर, और जाल के अतिरिक्त कुछ माहि दिखाई देता है।  भेड़ो एवं बकरियों की रेवड़ मैदान में चार रहे है।  तो  घास के झुरमुटों  छाँव खोज रह है।  इस गाओं में प्रवेश करते ही रे दस बड़े टीले स्वागत करते हुए दिखाई देते है।  मरुष्ठल एवं प्प्रकृति के जीवन का वास्तविक चित्रण इस गाओं में देखने को मिलता है।  धोरों पर बसी पचास-साथ घरों की कच्चे घरों की बस्ती गाओं की तलहटी में पानी भर्ती ग्रामीण महिलाये, बच्चे वही तलैयों में प्यास बुझती हजारो भेद बकरियों की झुण्ड के दृश्य मन को मोह लेते है।  सूर्यास्त के समय रेतीली धोरो के बीच में गुजरते भेड़ो के झुण्ड ग्रामीण वेशभूषा पहनी महिलाये सर पर रखे पानी के घड़े के लिए हुए बहुत विहंगम दृश्य होते है।  इस गाओं के पास से गुजरती सड़क से दूसरी और चमत्कारिक माता जी का मंदिर है।  शाम के समय जब मंदिर में आरती होती है तो उसके घंटो एवं लुमधुर ध्वनि रेट के चोरो पर बैठे लोगो के कानो में मिठास घोलती है।  रणाऊ से आगे निकलते ही तनोट नाम की छोटी सी बस्ती आती है।  जिसमे मेघवाल जाती के लोग रहते है।  इस स्थान की ख्याति भारत पाक के बीच 1965 में हुए युद्ध से है।  पाकिस्तानी शत्रु सेना लोंगेवाला से होते हुए तनोट के अंदर तक  पहुँच चुकी थी।  भारतीय सैनिक संख्या में काम होने पर भी घिर गए थे।  ऐसे मान्यता प्रचलित है की तभी एक महिला देवे शक्ति के रूप में प्रकट हुई और कहा की मंदिर परिसर की शरण में चले जाओ आपकी रक्षा स्वतः हो जाएगी।  भारत पाक सीमा पर अवस्तिथ तनोट माता के मंदिर एवं गढ़ की नीव आवड जी माता ने हिंगलाज धाम से लौटते समय तणुराव भाटी की दरिपर्थ पर राखी थी।  ग्रह में सर्वप्रथम स्वांगिया जी का मंदिर बनवाकर उसमे मूर्ति स्थापित की गई है।  दो सप्तमात मुर्तिया वर्तमान में तनोटराय मंदिर में विध्यमान है।  तनोटगढ़  व्  मंदिरो का निर्माण कच्ची ईंटो से किया गया था।  स्वतंत्रता से पूर्व जैसलमेर राजघराने द्वारा इसकी पूजा की जाती थी।  1965 भारत पाक युद्ध के पश्चात सीमा सुरक्षा बल का पुजारी इसका पूजन करता है।  मिटटी की कच्ची ईंटो से बना मंदिर एवं दुर्ग लगभग ध्वस्त हो चुके  थे तभी सं 1968 में जोधपुर के ठेकेदार श्रीराम टाक द्वारा इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया।  इसके बाद सीमा सुरक्षा बल द्वारा समय समय पर मंदिर परिसर में जीर्णोद्धार कार्य करवाया।   में श्री तनोट माता मंदिर पिछले कई वर्षो से सीमा सुरक्षा बल के जवानो तथा माता तनोटराय ट्रस्ट के तत्वावधान  परिसर को बड़ी  सुंदरता एवं स्वछता के साथ सजाया गया है। श्रद्धालु भक्तो  विश्राम  कमरों की धर्मशाला अद्युनिक सुविधा युक्त कैंटीन सुविदा उपलब्ध है  विशाल प्रवचन सभागार मीठे पानी के भंडारण की व्यवस्था तथा चौड़ी सड़क का निर्माण करवाया गया है।  ताकि दर्शनार्थ कतारबद्ध चाय में खड़े रह सकीय और धुप एवं वर्षा से बच सके।  संचार सुविधाएं बिजली की आपूर्ति चिकित्सा व्यवस्था तथा सीमा सुरक्षा बल की उत्तम व्यवस्था इस मंदिर में उपलब्ध है।  सीमा सुरक्षा बल के जवानो द्वारा साफ़ सफाई की व्यवस्था की आलावा यहाँ पर  पेड़ पौधे लगाकर हरियाली लाने के प्रयास किया जा रहे है।  मंदिर परिसर के बहार लगी छोटी छोटी दुकानों एवं ठेलो को भी कतारबद्ध रूप से व्यवस्थित रखा गया है।  सुबह एवं शाम को होने वाली आरती के समय में भी मंदिर परिसर का वातावरण भक्तिमय।   तनोटराय माता ट्रस्ट द्वारा स्कूली शिक्षा व्यवस्था को भी पुरस्कार स्वरूप राशि देकर प्रोत्शाहन दिया जा रहा है।  इस प्रकार सम्पूर्ण व्यवस्था सीमा सुरक्षा बल के प्रशासनिक नियंत्रण में होने से इस मंदिर में आने वाला प्रत्येक दर्शनार्थी माता तनोट के दर्शन कर प्रसनचित होता है।  

धन्यवाद 









1 comment:

  1. SUCCESS MIRROR , SAMANYA GYAN DARPAN , PRATIOGITA DARPAN KA MIXED VIDEO BANAIYE SIR .

    ReplyDelete

Powered by Blogger.