Feb 2020 Top Imp 90+ MCQ

Pratiyogita Darpan Feb 2020 Top Imp 90+ MCQ || प्रतियोगिता दर्पण फरवरी 2020 Top 90+ MCQ

नमस्कार दोस्तों
इस वीडियो में आपके लिए प्रतियोगिता दर्पण फरवरी 2020 के संस्करण से अतिमहत्वपूर्ण 90 बहुचयनात्मक प्रश्नो का वीडियो लाएं है जो आपके लिए बहुत ही उपयोगी व् सहायक होगा

Pratiyogita Darpan Feb 2020 Top Imp 90+ MCQ

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सैनिकों की आराध्य देवी के रूप में

भारत की स्वतंत्रता के समय से ही पकिस्तान कश्मीर घाटी पर अपना अधिकार करने की योजना बना रहा था। इसी कारन भारत पाकिस्तान सीमा पर तनाव बना रहता था। 5 अगस्त 1965 ने अमरीकी सहायता से प्राप्त आधुनिक सैन्य हतियारो व् टेंको से लेस्स होकर कश्मीर पर आक्रमण कर दिया। इस आक्रमण से निपटने के लिए भारत ने लाहौर क्षेत्र में युद्ध के लिए नया मोर्चा खोल दिया था। पंजाब व् कश्मीर में दौड़ने सेनाओ के बीच युद्ध चल रहा था. युद्ध की भयानक स्तिथि को देखते हुए अमेरिका के आग्रह पर सयुंक्त राष्ट्र संघ ने शांति प्रस्ताव द्वारा 23 सितम्बर 1965 को युग विराम की घोषणा कर दी। इससे पहले भारत कश्मीर तथा पंजाब दे भूणाग पर अपना आधिपत्य कर चूका था। पाकिस्तान ने स्तिथि की देखते हुए राजस्थान सिंध सीमा में थार मरुष्ठल की बंजर भूमि में स्थापित चौकियों पर अधिकार कर लिया था। शांति वार्ता में जहाँ भारत ने कश्मीर व् पंजाब पर अपना अधिकार बताया वही पाकिस्तान ने राजस्थान की सीमा से लगते हुए थार मरुस्थल की चौकियों चौकियों पर अपना अधिकार बताया. यह सुचना पाकर भारतीय प्रतिनिधि आश्चर्यचकित रह गए। क्यूंकि पाकिस्तान युद्ध विराम की घोषणा के बाद भी बिना गोली चलाये जैसलमेर बीकानेर की खली चौकियों पर अपना अधिकार कर सुरक्षा व्यवस्था मजबूत कर ली थी।
तनोट सामरिक दृष्टि से भारत-पाक के बीच अत्यंत महत्वपूर्ण चौकी थी। भारत केक राजनितिक तथा पाकिस्तान के राजनयिक तनोट पर आधिपत्य को लेकर अपना स्वाभिमान मानते थे। तब 1965 सितम्बर में भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ। तनोट पर आक्रमण से पूर्व पाकिस्तानी सैनिक पूर्व में किशनगढ़ से लगभग 74 किमी दूर बुइली तक तथा पश्चिम में साढ़ेवाला से शाहगढ़ और उत्तर में अछरी टीबा से 6 किमी दूर तक केक भू भाग पर अधिकार कर चुके थे। तनोट की चौकी 3 दिशाओ से घिर चुकी थी। तनोट के समीप स्थित घंटियाली जी के मंदिर के पास धोरों में पाकिस्तानी सैनिको ने एंटी पर्सनल व् एंटी टैंक माइंस बिछाकर तनोट की घेरा बंदी करदी अपने सैनिको को युद्ध के लिए तैनात कर दिया तह। पाक शत्रु सेना का मुकाबला करने के लिए कर्नल जयसिंग राठौर बीकानेर के नेतृत्व में बीकानेर के एक स्क्वार्डन लीडर तथा सीमा सुरक्षा बल की दो बटालियन ने मोर्च लिया था। भारतीय सैनिको ने धैर्य एवं सहस के साथ शत्रु सेना का मुकाबला किया। ऐसा कहते है फड़ माता ने स्वप्न में आकर कहा था की जब तक तुम मेरे मंदिर परिसर में हो में तुम्हारी रक्षा करुँगी। इस प्रकार शत्रु सेना को तीसरे दिन हार का सामना करना पड़ा शत्रु सैनिको के लाशों के ढेर के रूप में रणक्षेत्र में कब्रें आज भी साक्षी है।
तनोट माता जी के मंदिर के आसपास केक क्षेत्र में करीब 3 हजार गोले बरसाए गए परन्तु अधिकांश गोले अपना लक्ष चूक गए. मंदिर को निशाना बनाकर 450 से अधिक गोले दागे गए लेकिन चमत्कारी रूप से एक भी गोला अपने निशाने पर नहीं लगा। मंदिर के खरोंच तक नहीं आयी। तनोटरायमाता द्वारा सन्न 1965 में पाकिस्तान के विरुद्ध युद्ध में भारतीय सैनिको की सहायता की जिसके साक्ष्य के रूप में तनोटराय के मंदिर में शिलालेख आज भी उत्कीर्ण है। भारतीय सैनिको केक आलावा पाकिस्तानी सेना के नोजवानो ने भी मन की तनोट माता शक्ति की देवी है। पाक सेना के कमांडर ने श्रद्धा स्वारूप ब्रिगेडियर शाहनवाज खान ने तनोट तय को चंडी का एक छात्र भेंट किया जो वर्तमान में भी है। इसके अतिरिक्त मंदिर परिसर में रखे बूम तनोटराय माता जी की साक्षात् चमत्कार के शाक्षी है।

तनोट माता के मंदिर में रखे बम भी चमत्कार के साक्षी है

9 सितम्बर 1965 में भारतीय पुलिस की भुट्टेवाला चौकी जो एक ऊँचे टीले पर स्तिथ थी।  पाक सेना ने इस चौकी पर गफूर खान के नेतृत्व में बंदूकों हथगोलों तथा बंदूकों से लेस्स होकर अचानक आक्रमण कर दिया।  भारतीय वीर सपूत पूनम सिंह भाटी, भंवर सिंह, लूँ सिंह ने चौकी पर अपना मोर्चा संभल  लिया था। वे शत्रु सेना का मुकाबला शौर्यता एवं शक्ति से कर रहे थे।  उनके पास कारतूस एवं सैन्य सामान काम मात्रा में था।  शत्रु सेना की तरफ से अत्याधुनिक हथियारों से युद्ध किया जा रहा था।  लेकिन वीर सपुर पूनम सिंह भाटी एवं उनके साथियों ने अदम्य सहस से लड़ते हुए चौकी तक शत्रु सेना को नहीं पहुँचने दिया।  तनोट राय माता की अलौकिक शक्ति से भारत माता के वीर सपूतों ने पाक कमांडर अफजल खान सहित ८ रेंजर को वपणे पराक्रम एवं शौर्य से युद्धभूमि में ढेर कर दिया।

              पूनम सिंह भाटी शत्रु का मुकाबला वीरता के साथ कर  रहे थे।  इतने में  एक ब्रष्ट ने छुपकर उनके सर पर गंभीर चोट कर घायल कर दिया फिर वे शत्रु सेना से लड़ते हुए अपनी वीरगति की प्राप्त हो गए।  युद्ध अभी चल  था की लेकिंग रेट के धोरो पर जब शत्रु सेना ने अपने साथियों की लाशे देवी तो भयभीत होकर बचे सैनिक भी भाग गए।  शहीद पूनम सिंह के पार्थिव शरीर को जैसलमेर में भव्य सम्मान के पश्चात उनके मूल गाओं हाबूर में मान सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।  उनके गाओं  नाम भी उनके स्मृति में हाबूर से पूनमनगर रखा गया है।  मरणोपरांत उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति द्वारा पुलिस पदक से नवाजा गया।  जैसलमेर सेहर हर में उनके  नाम से पूनम स्टडिम बनाया गया है जहा सभी  कार्यक्रम होते है।  श्री तनोट माता भारतीय सैनिको के भक्तिभाव एवं शक्ति की उपासक रही है।  तनोट माता द्वारा सेना की रक्षा करने के कारन इसे सैनिको की आराध्य देवी दे रूप में जाना जाता है।  
           16 नवम्बर १९६५ के युद्ध से पूर्व पाकिस्तानी सैनिको द्वारा घंटियाली राय मंदिर को अपवित्र करते हुए मूर्तियों को खंडित किया गया तथा मंदिर में तोड़फोड़ की गयी।  शत्रु सैनिको ने मंदिर परिसर से घंटियाली माता के चंडी के छात्र भी लूटकर अपने साथ ले जाने ले लिए चल पड़े थे।  माता घंटियाली के दिव्या चमत्कार से अपराधी शत्रु रात भर दिशा भ्रमित होकर केर केर फोग की झाड़ियों में भटकते रहे सुबह उनकी लाशे उलटी अवस्था में रेट हुई झाड़ियों में लटकती हुई मिली तथा चोरी किया गए चंडी के छत्र  एवं अन्य वस्तुएं उनके पास ही बिखरे पड़े थे।  इस प्रकार के चमत्कारों से छाँटियाली माता के प्रति लोगो में श्रद्धा का भाव बढ़ गया था।  जैसलमेर के लोगजीवन में ऐसे मान्यता है की भारत पाक युद्ध के समय शत्रु सैनिको को इस मंदिर के पास साकार दिखना काम हो गया था उन्होंने भ्रमित होकर अपने सैनिको पर घ आक्रमण कर दिया था।  भारतीय सेना में भरम पाक युद्ध के समय डोगरा बटालियन, जाट राइफल्स, सिख लाइट इन्फेंट्री , के जवान शमिल  थे।  जैसलमेर के पश्चिम क्षेत्र में रेट के समंदर में कच्ची पगडंडिया और उबड़ खाबड़ रस्ते थे। सड़क का आभाव था।  थार के मरुष्ठल में धूल भरी ांडिया चलती थी।  जिससे रेट के धोरे अपना स्थान बदलते रहते थे. मनचीता द्वारा भी किसी भी सामरिक चौकी की स्थिति का अनुमान  लगाना मुश्किल कार्य था।  इस प्रकार की विकत भौगोलिक परिस्तिथि में गंगारिसाल के सेवा निवृत सैनिक श्री कारन सिंह जाम के निर्देशन में भारतीय सेना साढ़ेवाला पहुँच चुकी थी।  रात्रि अँधेरे में भारतीय वायुसेना के जहाजों ने भी रामगढ से साढ़ेवाला की तरफ प्रस्थान किया।  भारतीय सैनिको ने अपने मोर्चे संभल लिए थे।  ऐसा प्रशिद्ध है की भारतीय सैनिको को रात्रि में देवी माता जी ने स्वपन में आकर कहा की में उनके साथ हु. इस प्रकार भारतीय सैनिको ने देवी माता जी को अंतःकरण में स्मरण करते हुए आत्मविश्वास शौर्यता के साथ रत भर तोपों बंदूकों तथा टेंको की सहायता से पाकिस्तानी सेना को सीमा से बहार निकर दिया भारतीय सैनिको  तनोटराय, माँ घंटियाली माता की जय  दस जयघोष के साथ अपने अपने विजय रथ  को आगे बढ़ाते हुए चल रहे थे।  साढ़ेवाला चौकी पर पुनः भारतीय सैनिको का कब्ज़ा हो चूका था।  


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